श्रीशैल अनंत पुरुष अक्कारकनी श्रीसंपत्कुमाराचार्य स्वामीजी
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श्रीकांची प्रतिवादि भयंकर मठ
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मूल :श्रीगोदाम्बाजी व्याख्या : तिरुप्पावै श्रीगोदाम्बाजी विरचित जो प्रत्येक श्रीवैष्णव के लिए नित्यानुसंधेय है और धनुर्मास में विशेष रूप से सभी श्रीवैष्णव घरों में मूल पाठ के साथ प्रतिदिन एक पाशूर के व्याख्या का भी अनुसंधान होता है । तिरुप्पावै की विस्तृत व्याख्या बहुत ही सुंदर सरल भाषा में है, हर एक पाशूर का व्यंगार्थ भी बहुत विशेष रूप से है, जिससे सारतम विषय को अत्यंत सरलता के साथ समझ सकते है। ३० पाशूर दर्शानेवाले रंगीन चित्रों को पाशूर के संक्षेप्तार्थ के साथ दिया गया है।
श्री शैल अनंत पुरुष अकारकनी श्रीसंपत्कुमाराचार्य स्वामीजी
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श्रीकांची प्रतिवादि भयंकर मठ
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मूल : श्रीशठकोप स्वामीजी व्याख्या : श्रीशठकोप सूरी की सूक्तियों को सर्वोपरि माना जाता है । श्रीशठकोप सूरी कहते हैं भगवान ही गायें – गवायें – मै तो निमित्त मात्र हूँ, इस कारण से सर्वमान्य हैं। श्रीशठकोप स्वामीजी विरचित सहस्रगीति के ऊपर संक्षेप व्याख्यान है । सहस्रगीति को भगवद विषय के नाम से भी जाना जाता है, सहस्रगीति के ऊपर संप्रदाय में अनेक बड़े बड़े व्याख्यान है. उन सभी व्याख्यानों के सार को संक्षेप में विवरण किया गया है इसलिये इसे भगवद्वियषार कहा गया है । सहस्रगीति श्रीवैष्णव का मुखदर्पण है इसका अनुसंधान अवश्य करना चाहिये।
श्री आंध्रपूर्ण स्वामीजी कुलोत्पन्न श्रीमदनंताचार्य स्वामीजी
Book Author(व्याख्या)
बेदान्त मार्तण्ड स्वामीजी श्रीरामनारायणाचार्यजी महाराज अयोध्या
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श्रीकांची प्रतिवादि भयंकर मठ
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श्रीरामानुज स्वामीजी का पूर्ण जीवन चरित्र, रामानुज स्वामीजी के आचार्य और शिष्यों का संक्षेप जीवन चरित्र, आलवारों का संक्षेप चरित्र इस प्रपन्नामृत ग्रंथ में संकलित है। इस ग्रंथ के अध्ययन से प्रपन्नता में दृढ़ता होती है और आचार्य चरणों में प्रेम विश्वास श्रद्धा बढ़ती है। इस प्रकाशन में रामानुज स्वामीजी के चरित्र के रंगीत चित्रों का प्रत्येक अध्याय में संकलन है, जिससे वृतांत को समझने में बहुत सुलभता होती है इसके अलावा अनेक दिव्य देशों के भगवान, आलवार, आचार्यों के रंगीत चित्रपट भी संदर्भानुसार प्रस्तुत किया गया है।